रेवती : तु please…. आता यांच्या बाबतीत नको ना सुरू करु…. भाई माहित आहे ना तुला ?? सोड तू…. चल आता… .
सावन बरसे तरसे दिल क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेकरार है भरे बाज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में
सावन बरसे तरसे …
रिमझिम रिमझिम, रुमझुम रुमझुम
भीगी भीगी रुत में, तुम हम, हम तुम
चलते हैं, चलते हैं
बरखा से बचा लूँ, तुझे सीने से लगा लूँ, आ छुपा लूँ
दिलने पुकारा देखो, रुत का इशारा देखो
उफ़ ये नजारा देखो, कैसा लगता है
ऐसा लगता है, कुछ हो जायेगा
मस्त पवन के ये झोंके सैय्य़ा देख रहे हो
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