गरमी की छुट्टियों के बाद आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय खुला था. उत्साहित युवा लड़के- लड़कियां हंसते-मुस्कुराते अपने-अपने विभागों की ओर जारहे थे. नए विद्यार्थी दादा टाइप युवकों की अपने ऊपर की गई मजाकिया टिप्पणियों से कुछ डरे हुए अपना विभाग खोज रहे थे. हिन्दी विभाग के आगे काफी संख्या में छात्र-छात्राएं जमा थीं. लडकों के बीच हलचल का एक विशेष कारण यह भी था कि अब एम ए प्रीवियस के नए सत्र से उनकी कक्षा में लडकियां भी उनकी साथी होंगी. स्नातक उत्तीर्ण करने तक विश्वविद्यालय में लड़कियों की कक्षाएं वीमेंस विंग में होती थी, एम ए प्रीवियस से सह शिक्षा का प्रावधान था. इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों की उत्सुकता का एक विशेष कारण नोटिस बोर्ड पर अंकित एक नाम था, कौन है यह गीता रानी जो मॉरीशस से हिन्दी में मास्टर्स करने इस विश्वविद्यालय में आ रही है. लड़कों का समूह ही नहीं लडकियां भी उस लड़की से मिलने को उत्सुक थीं. अचानक हल्के गुलाबी रंग के सलवार सूट में एक आकर्षक लड़की ने आकर सबको चौका दिया. “लगता है, मै ठीक जगह पहुंच गई हूँ, यह हिन्दी- विभाग ही है?” चेहरे पर आत्मविश्वास और उसकी मीठी आवाज़ ने सबको मुग्ध कर दिया. “जी हाँ, हम सब आपकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे. आपको पहिचानने में भूल कैसे हो सकती है? सारी लड़कियों के बीच आपकी अलग चमक बता रही है कि आप मॉरीशस से आने वाली गीता जी हैं. कहिए ठीक पहिचाना है ना?”क्लास के हीरो बनने वाले समर ने आगे बढ़ कर नाटकीय अंदाज़ में कहा. “क्षमा कीजिए, आपकी एक बात गलत और एक बात सही है. यह ठीक है कि मै मॉरीशस से आई गीता हूँ,पर मुझमे कोई चमक है, यह बात बिलकुल गलत है. वैसे यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सबके साथ पढने का अवसर मिला है. आशा करती हूँ, हम सब अच्छे मित्र बनेंगे इसलिए मुझे आप कह कर संबोधित ना करके केवल गीता कहें तो खुशी होगी.” मीठी मुस्कान के साथ गीता ने कहा. लडकों ने तालियाँ बजाईं. मीता के साथ कला, शैली, नीना आदि लडकियां गीता के निकट आ गईं. “भारत में तुम्हारा स्वागत है, गीता. मुझे विश्वास है तुम्हें हमारे साथ कभी अकेलेपन का अनुभव नहीं होगा.”मीता ने स्नेह से कहा. “यदि तुम्हें कभी भी किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो हमसे नि:संकोच कहना यहाँ हम सब तुम्हारी बहिनों जैसी हैं.” कला ने भी गीता को विश्वास दिलाया. “धन्यवाद, कुछ ही देर में यह बात समझ में आगई कि भारतवासियों के उदार ह्रदय और स्नेहसिक्त स्वभाव के विषय में जितनी भी अच्छी बातें सुनी है, वे सत्य है. विश्वास है, आप सबके साथ मेरा समय अच्छा बीतेगा और मुझे अपने कार्य में भी सफलता मिलेगी.” “गीता, आज ही मुझे ज्ञात हुआ है, हॉस्टल में तुम मेरी रूम- मेट हो. तुमसे मॉरीशस के विषय में बहुत कुछ जानने और सुनने को मिलेगा. कई बार फिल्मों में मॉरीशस के सुन्दर सागर और दृश्य देख कर मुग्ध रह गई हूँ. यहाँ तुम अपने देश को मिस ना करो इसका प्रयास करूंगी.” मीता ने विश्वास से कहा. “वाह यह तो बड़ी खुशी की बात है. तुम्हारे साथ मुझे अकेलापन नहीं खलेगा. हम दोनों एक-दूसरे की मदद से भारत और मॉरीशस देशों के साथ परिचय कर सकेंगे.”गीता के चेहरे पर खुशी थी. क्लास में जाने के पहले गीता को हिन्दी के विभागाध्यक्ष को मॉरीशस के अध्यक्ष का पत्र देना था., वह लड़कियों से उनके साथ क्लास में ना जाने के लिए क्षमा मांग कर, विभागाध्यक्ष को पत्र देने चली गई. सब विद्यार्थी क्लास में चले गए. उन सबके जाने के बाद गीता ने जा कर विभागाधय्क्ष प्रोफ़ेसर अग्निहोत्री को अपने साथ लाया पत्र आदर से दिया था. प्रोफ़ेसर अग्निहोत्री ने पत्र पढ़ कर कहा- “मुझे प्रसन्नता है कि हमारे विभाग में तुम जैसी मेधावी लड़की पढने आई है. मॉरीशस में तुम्हे स्नातक की परीक्षा में प्रथम स्थान मिला है, आशा करता हूँ, यहाँ भी तुम ऐसा ही परिणाम लाओगी.” कक्षा में प्रोफ़ेसर तिवारी सबका परिचय ले रहे थे. पहले दिन विद्यार्थी पढने के मूड में नहीं दिख रहे थे. “सर, क्या मै कक्षा में आ सकती हूँ.” गीता ने प्रवेश के लिए अनुमति मांगी थी. “अरे, आपको अनुमति की क्या आवश्यकता है, आइए और हमारे क्लास की शोभा बढाइए.”समर के वाक्य पर लडके हंस पड़े. शांत भाव से गीता ने क्लास में अपने बैठने के स्थान पर दृष्टि डाली. कक्षा की पहली बेंच का दांया कोना शायद गीता के लिए ही खाली छोड़ा गया था. शेष पर लडकियां बैठी थीं. धन्यवाद कहती गीता खाली स्थान पर बैठ गई. तभी क्लास- रूम के द्वार पर सफ़ेद कुरते-पाजामे के भारतीय परिधान में एक गौरवर्णीय सौम्य युवक ने कक्षा में आने की अनुमति मांगी. शायद धूप में आने के कारण उसका गौर वर्ण लाल हो कर उसके चेहरे की तेजस्विता बढ़ा रहा था. हाथ में पकड़ा छाता विरोधाभास प्रस्तुत कर रहा था. उसे अपने बैठने के स्थान की खोज करते देख गीता ने खिसक कर उसके बैठने के लिए जगह बना दी. धन्यवाद कहता युवक नि:संकोच गीता के पास बेंच पर बैठ गया. “अरे दोस्तो, ये महाशय बिन बरसात छाता लिए किस गंवई-गाँव से आए हैं. आते ही अपने लिए क्या कमाल की जगह बना ली है. काश इनकी जगह हम होते.”क्लास में समर के मजाकिया रिमार्क पर लडकों के ठहाके गूँज उठे. “समर, अब आप अपनी बी. ए. की शरारतों को भूल जाइए वरना अच्छे परिणाम की आशा मत रखिएगा. याद कीजिए, एम. ए. की परीक्षा पर आपका भविष्य निर्भर करेगा.”प्रोफ़ेसर तिवारी ने चेतावनी दी. “जी सर, अवश्य याद रखूंगा.” समर की शरारतों को प्रोफ़ेसर तिवारी उसकी बी. ए. कक्षा से जानते थे. “सर, आज हम सबका हमारे क्लास के साथियों से परिचय होना आवश्यक है. अब हमें दो लंबे वर्ष साथ-साथ बिताने हैं.एक-दूसरे को जानना ज़रूरी है.”शरद ने नम्रता से कहा. “ठीक है, आज आप सब अपना –अपना परिचय देंगे. सबसे पहले इस क्लास में गीता रानी का स्वागत है, वह मॉरीशस से भारत में हिन्दी में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए आई हैं. आप में से कितने विद्यार्थी मॉरीशस के गौरवपूर्ण इतिहास के विषय में जानते हैं?”प्रो. तिवारी ने प्रश्न किया. “जी सर, मुझे मालूम है, पैसे कमाने के लिए बहुत से मजदूर भारत से मॉरीशस गए थे और वहीं बस गए. अब मॉरीशस उनका देश बन गया है.” समर के मित्र नरेन्द्र ने हंसते हुए कहा. “क्षमा कीजिए, आप जिन्हें मजदूर कह रहे हैं, वे सम्मानित विजेता हैं. मजदूर कह कर उन्हें अपमानित करने का दुस्साहस मत कीजिए. अपने पसीने और रक्त से उन्होंने विश्व के मानचित्र पर एक स्वतंत्र देश को प्रतिष्ठित किया है. उनके रक्त से सिंचित मिट्टी उनके शौर्य और पराक्रम की प्रतीक है. मुझे गर्व है मैने उन विजेताओं के देश में जन्म लिया है.”उत्तेजना से गीता का सुन्दर गोरा मुख लाल हो गया. प्रोफ़ेसर तिवारी के ताली बजाते ही पूरी कक्षा सबकी तालियों से गूँज उठी. “गीता, आपने बिलकुल सत्य कहा है,. मॉरीशस का प्रत्येक व्यक्ति आदर और सम्मान का पात्र है. मुझे खुशी है, गीता के द्वारा मॉरीशस के अनेकों प्रेरक प्रसंगों से हम सबका परिचय हो सकेगा.”प्रो० तिवारी ने सच्चाई से कहा. एक के बाद एक विद्यार्थी अपना परिचय और भविष्य की योजना बता रहे थे. गीता की बारी आने पर सब उसके विषय में जानने को उत्सुक थे. “साथियो, बचपन से मेरे बाबा मझे उनकी जन्मभूमि भारत देश और अपने प्यारे गाँव की अनेकों मीठी कहानियां सुनाया करते थे. मॉरीशस में रहते हुए भी उनकी आत्मा भारत में बसती थी. उनके मुख से कहानियां सुनते हुए मेरा भारत और हिन्दी भाषा से प्यार बढ़ता गया. मॉरीशस में हिन्दी एक लोकप्रिय विषय है. यहाँ बहुत से विद्यार्थी हिन्दी पढ़ते हैं तथा कई प्रसिद्ध हिन्दी के कवि और लेखक हैं. प्रेमचंद की कहानियां जब बाबा को पढ़ कर सुनाती तो वे उनमें खो जाते. तभी मैने हिन्दी भाषा में पोस्ट ग्रेजुएशन करने का निर्णय लिया था.” “एक प्रश्न का उत्तर जानना चाहूंगा, हिन्दी के लिए आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय को क्यों चुना?भारत में तो अनेकों विश्वविद्यालय हैं.”प्रो० तिवारी भी उत्तर के लिए उत्सुक हो गए थे. “मॉरीशस के लेखकों की रचनाओं के साथ भारत के प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाएं पढने का अवसर मिला था. महादेवी वर्मा, निराला, सुमित्रानंदन पन्त, बच्चन जी जैसे महान कवियों और धर्मवीर भारती जैसे प्रसिद्ध कहानीकारों का साहित्य इलाहाबाद की हवा में बहता रहा है. इसीलिए मैने इस विश्वविद्यालय में पढने का निर्णय लिया है.”शान्ति से अपनी बात कहती गीता चुप हो गई. “मुझे विश्वास है, अपने निर्णय से आपको निराशा नहीं होगी, धन्यवाद गीता. प्रो० तिवारी ने कहा. अब गीता के पास बैठे युवक को अपना परिचय देना था. “मै विवेक कुमार, इसी विश्वविद्यालय का विद्यार्थी रहा हूँ, पर हिन्दी विषय में नया प्रवेश लिया है.”गंभीरता से विवेक ने कहा. “क्या, कहीं आप वही विवेक कुमार तो नहीं, जिसने यूनीवर्सिटी में टॉप किया है?” प्रो० तिवारी चौंक गए. “जी, यह मात्र संयोग ही था.शान्ति से विवेक का उत्तर आया. पूरा क्लास स्तब्ध रह गया. जो विद्यार्थी पूरी यूनीवर्सिटी की चर्चा का विषय था, उसे वे पहिचान भी नहीं सके. वह हिन्दी विषय में क्या करने आया है? “एक बात समझ में नहीं आई, तीन फ़ैकल्टीज़ का टॉपर होने के बावजूद तुम हिन्दी में एम ए क्यों करना चाहते हो? तुम्हे तो प्रशासनिक सेवा जैसी किसी अन्य ऊंची सर्विस में जाने के लिए कोई दूसरा विषय लेना उचित होता.” प्रो० तिवारी विस्मित थे. “क्यों सर, क्या आपकी दृष्टि में अन्य विषयों की अपेक्षा हिन्दी हेय है? मुझे अपनी मातृ- भाषा से प्यार है,अब इसमें अपनी योग्यता बढ़ाकर इसे समझना चाहता हूँ. ऊंची नौकरी पाना ही मेरा लक्ष्य नहीं है. जीवन में अपने मन का कोई कार्य करना चाहूंगा.” विवेक के उत्तर ने सबको विस्मित कर दिया. क्लास समाप्त होने के बाद विवेक को लडकों और लडकियों ने घेर लिया. गीता भी उनमें शामिल थी. “मुझे खुशी है कि मुझे आप जैसा मेधावी और सच्चा साथी मिला है. आपके विचारों ने मुझे प्रभावित किया है. वास्तव में ऊंची नौकरी की अपेक्षा अपना मनचाहा कार्य करने में ही सच्चा सुख है.”गीता ने कहा. सबके मन में विवेक के लिए आदर था. दूर खडा समर और उसके साथियों का ग्रुप विवेक को सबकी प्रशंसा पाते देख जल रहा था. समर शहर के सीनियर एस. पी. का बिगड़ा हुआ बेटा था, सब पर रोब ज़माना अपना जन्म सिद्ध अधिकार मानता था. उससे लाभ उठाने के लिए नरेन्द्र, अमानत, महीप और सुरेश जैसे लड़के उसकी जी हुजूरी करते. समर की दृष्टि में विवेक उसका प्रतिद्वंदी बन चुका था. “ये विवेक बहुत जमा रहा है. हीरो बनाना चाहता है, इसकी अक्ल ठिकाने लगानी होगी.”समर ने कहा. दूसरे दिन भी गीता ने विवेक के लिए अपने पास की जगह सुरक्षित रखी थी. समर ने उस स्थान पर जब बैठने का प्रयास किया तो गीता उठ कर पास वाली खाली बेंच पर बैठ गई. समर का चेहरा काला पड़ गया. उसका इतना अपमान, ये गीता अपने को क्या समझती है, देख लूंगा इसे. गीता उत्सुकता से विवेक के आने की प्रतीक्षा कर रही थी. विवेक के आते ही उसने आवाज़ दी थी- “विवेक, आइए आपका स्थान यहाँ है.“ “धन्यवाद, पर आपको मेरे लिए स्थान रखने की आवश्यकता नहीं है. मै कहीं भी बैठ सकता हूँ.”गंभीरता से विवेक ने कहा. “आप जैसे प्रतिभाशाली विद्यार्थी के पास बैठना मुझे प्रोत्साहित करेगा, विवेक.” “प्रतिभाशाली तो आप भी कम नहीं हैं, सुना है, टॉपर हैं.”हल्के से मुस्कुरा कर विवेक ने कहा विवेक की प्रशंसा से गीता के मुख पर खुशी आ गई. मीता, कला, नीना, नासिरा, और दूसरी लडकियां गीता के भाग्य से ईर्षा करतीं, काश वे भी विवेक के साथ बैठ पातीं. कुछ ही दिनों में उस गंवई गाँव का कहा जाने वाला विवेक अपनी प्रतिभा और सौम्य व्यवहार के कारण लड़कियों और पढाई में रूचि रखने वाले शरद,नीलेश, सलमान अमन, सजल जैसे लड़कों का भी प्रिय मित्र बन गया था. नए सेशन में पढाई शुरू होगई थी. पढाई के लिए गंभीर विद्यार्थी मनोयोग से पढाई कर रहे थे. बीच –बीच में अपनी व्यंग्यपूर्ण टिप्पणियों से समर पढाई में बाधा डाल प्रोफेसरों की चेतावनी हंस कर टाल देता. अक्सर क्लास के बाद गीता पढाए गए विषय पर विवेक के साथ चर्चा करने रुक जाती. दोनों आपस में काफी सहज हो चले थे. कभी-कभी मीता और दूसरे लड़के और लडकियां भी चर्चा में भाग लेते. विवेक जिस सरलता से किसी कठिन विषय की व्याख्या करता उससे सब प्रभावित होते. चर्चा में विवेक सभी को अपनी बात रखने का अवसर देता, इससे सबके मन में संतोष रहता. “विवेक, क्या किसी अवकाश के दिन तुम मुझे अपने शहरके दर्शन करा सकते हो? पुस्तकों से कुछ स्थान अंकित किए हैं, पर उनके विषय में अधिक जानकारी नहीं है.”अचानक एक दिन गीता ने कहा. “यह तो मेरा सौभाग्य होगा, पर क्या तुम्हारी पढाई के समय का अपव्यय नहीं होगा?” “तुमने तो सुना ही होगा सिर्फ पढाई किसी को निष्क्रिय बना सकती है) मुझे अपनी क्षमता पर विश्वास है.”पूरे विश्वास से गीता बोली. “यदि ऐसा है, तब तुम ही बताओ, सबसे पहले क्या देखना चाहोगी?” “इलाहाबाद शहर में गंगा, यमुना और सरस्वती तीन नदियों का संगम है. सबसे पहले संगम और पवित्र गंगा नदी देखनी है. बचपन से इसके महत्त्व के विषय में सुनती आई हूँ, मॉरीशस के शिव गंगा सरोवर के जल में पवित्र गंगा जल लाकर मिलाया गया था, सरोवर के निकट एक भव्य विशालकाय शिव की प्रतिमा है.पर्वों के समय इस सरोवर के निकट पूजा संपन्न करने के समय मेला जैसा लगता है. ऐसे त्योहारों पर बहुत आनंद आता था.”गीता जैसे उन यादों में खो सी गई थी. “यदि तुम गंगा का वास्तविक सौंदर्य देखना चाहती हो, तब सूर्योदय के पहले चलना होगा. पैदल चल सकोगी?” “क्यों क्या गंगा तक जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिलेगा.?” “असल में मै रोज़ प्रात: गंगा-स्नान के लिए पैदल ही जाता हूँ, पर अगर तुम्हें पैदल चलने का अभ्यास नहीं है तो किसी वाहन की व्यवस्था हो सकती है.” “जी नहीं, किसी वाहन की आवश्यकता नहीं है, तुम नहीं जानते मैं एक एथलीट हूँ, मीलों दूर भाग सकती हूँ.”गर्व से गीता ने कहा. “ठीक है, सवेरे साढे चार बजे का अलार्म लगा लेना. मै हॉस्टेल के गेट पर तुम्हारी प्रतीक्षा करूंगा.” रात में गीता को नींद नहीं आ रही थी. बचपन में जिस गंगा की पवित्रता और चमत्कार की कहानियां वह बचपन में सुनती आई थी, कल वह स्वयं अपनी आँखों से उसे देख सकेगी. क्या उसका जल सचमुच अमृत सदृश्य होगा. बाबा कहते थे गंगा भगवान् शिव की जटाओं से निकली हैं. यह बात गीता की समझ से बाहर थी. बड़ी होने पर नदियों के उत्स की सच्चाई जान कर भी बाबा के विश्वास और उनकी आस्था को उसने कभी नहीं झुठलाया. अलार्म बजने के पहले ही गीता तैयार हो कर गेट पर पहुँच गई. “वाह, तुम तो समय की पक्की हो, मुझे तो भय था, कहीं तुम सोती ना रह जाओ और मै प्रतीक्षा ही करता रह जाऊं.” विवेक ने परिहास किया. “एक बात जान लीजिए, सत्यता के लिए जिस गीता की शपथ ली जाती है, वही गीता मेरा नाम है. मेरा वचन गीता का वचन होता है.”गर्व से गीता ने कहा. भोर की उजास अभी फैली नहीं थी. हवा में हलकी सी ओस की नमी थी. दोनों तेज़ी से कदम बढाते चल दिए. सड़क पर मात्र एक-दो वाहन या राही ही दिख रहे थे. दूर से ही गंगा की झलक देख गीता बच्चों जैसी खुशी के साथ उत्साहित हो उठी. गंगा- तट भक्त जनों से गुलज़ार था. अब आकाश भी उषा की लालिमा से रंजित हो चुका था. सूर्य अपनी सुनहरी रश्मियाँ बिखेरने को झाँक रहा था. पूजा कर रहे पंडितों के मंत्रोच्चार और भक्तों के गीतों से अनोखा वातावरण बन रहा था, उस सौन्दर्य और पावन वातावरण से गीता अभिभूत थी. किनारे पर ही स्त्रियाँ स्नान कर उदित होरहे सूर्य को अर्ध्य दे रही थीं. रंग-बिरंगी नौकाओं में लोग संगम की ओर जारहे थे. गीता बस मौन उस दृश्य को आत्मसात कर रही थी. वाणी को जैसे शब्द ही नहीं मिल रहे थे.” “क्या सोच रही हो? शायद इस नदी को देख कर तुम्हें मॉरीशस के सुन्दर सागर-तट याद आरहे होंगे.” “मॉरीशस तो हमेशा मेरी यादों में मेरे साथ है, पर गंगा की तुलना वहां के सागरों से नहीं कर सकती.” “समझता हूँ, नदी तो अपने को विशाल सागर में ही समर्पित करती है. दोनों की तुलना कैसे संभव है.” “नहीं, तुम नहीं समझोगे. यह सत्य है, मॉरीशस के स्वच्छ-सुन्दर सागर लोगों को उल्लास और उमंग भरा आनंद जीने को प्रेरित करते हैं. मेरी दृष्टि में यह उल्लास स्थायी नहीं होता है, पर गंगा तट का यह पावन वातावरण क्षणभंगुर मानव जीवन की सच्चाई उजागर करता है. देख रही हूँ, कितने लोग संगम में अपने प्रिय जनों के अंतिम अवशेष विसर्जित करने आरहे हैं. इस शांत माहौल में पवित्र भावनाओं के अतिरिक्त दूसरी कोई बात मानस में आ ही नहीं सकती.”गीता ने गंभीरता से कहा. “वाह, तुम तो दार्शनिक हो. इस विषय पर कितनी सुन्दर व्याख्या की है.”विवेक ने सच्चाई से कहा. “विवेक, क्या अभी हम संगम तक जा सकते हैं?”गीता ने जानना चाहा. “क्यों नही, इन नावों की खुशकिस्मती होगी, अन्ततःये मॉरीशस की लड़की की ही तो प्रतीक्षा कर रही हैं.” “अच्छा तो तुम मज़ाक भी कर सकते हो, पर बार-बार मॉरीशस की याद क्यों दिलाते हो, अब भारत में हूँ, तो मुझे भारत का आनंद लेने दो.”गीता खुश दिख रही थी. “ठीक है, चलो भारत में नौका- विहार के अनुभव का आनंद उठाओ.”विवेक ने हंस कर कहा. नाव में बैठी गीता बच्चों की तरह पानी अंजुरि में लेकर उससे खेल रही थी. संगम पहुंचने पर कई नावों में अपने जजमानों के साथ आए पंडित, उनके प्रिय जनों के अवशेष- विसर्जन की पूजा संपन्न करा रहे थे. उस दृश्य ने गीता को उदास कर दिया. बाबा की याद हो आई, वह कहा करते- “मरने के पहले एक बार अपना गाँव देख पाता. गंगा- स्नान करके जिन्दगी सफल कर लेता.” काश, आज बाबा होते तो उन्हें अपने अनुभव बता सकती, वह कितने खुश होते.”गीता ने अपने मन की बात विवेक से कही. “दुखी मत हो, आज तुम्हारे बाबा की आत्मा तुम्हें यहाँ देख कर बहुत प्रसन्न होगी, गीता. विवेक ने सांत्वना दी.” .वापिस लौटते समय सूर्य की किरणें प्रखर हो उठी थीं. गर्ल्स हॉस्टेल के सामने समर अपने साथियों के साथ खड़ा बाहर आती-जाती लड़कियों पर छींटाकशी कर रहा था. विवेक और गीता को साथ आते देख जोर से आवाज़ दी थी- “अरे दोस्तो, देखो सवेरे-सवेरे ये कहाँ से रात बिता कर वापिस आ रहे हैं?”चेहरे पर कुर्टिल मुस्कान थी. “हम गंगा के प्रात:कालीन सौदर्य के दर्शन कर के आ रहे हैं.”विवेक ने सादगी से उत्तर दिया. “काश, अपने साथ हमें भी ले लिया होता, हम भी आनंद उठा लेते.” बात में व्यंग्य स्पष्ट था. “ठीक है, अगली बार चलने का समय तुम्हे ज़रूर बताएंगे.”विवेक ने सच्चाई से कहा. “गीता, शहर में अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान, दोनों की फ़िल्में लगी हैं. मेरे पास दोनों फिल्मों के फ्री पास हैं. कहो कौन सी फिल्म देखनी है? शहर के सीनियर एस पी साहब यानी पापा के नाम पर फ्री पास आते हैं, पर पापा को फिल्म देखने का समय कहाँ मिलता है. सारी फिल्मों के पास अपने दोस्तों को दे डालता हूँ. जो फिल्म देखने जाता है,फिल्म में फ्री कोल्ड ड्रिंक के मजे लेता है.”शान से समर ने कहा. “धन्यवाद, सिनेमा हॉल `के दमघोंटू माहौल की जगह मुझे खुली हवा में समय व्यतीत करना अच्छा लगता है. वैसे भी मुझे फ्री पास या कोल्ड ड्रिंक का कोई शौक नहीं है. मै यहाँ जिस कार्य के लिए आई हूँ, उसे पूरा करना ही मेरा लक्ष्य है.”गंभीरता से गीता ने उत्तर दिया. “अगर ऎसी बात है तब तो तुम्हें कम्पनी बाग़ जाना देखने चाहिए. बहुत ही सुन्दर गार्डेन है.”समर के मित्र नरेन्द्र ने कहा. “कम्पनी बाग़ तो मुझे अवश्य देखना है. वहां स्वतंत्रता सेनानी अम्रर शहीद चन्द्रशेखर की प्रतिमा भी है. अंग्रेजों ने इसी बाग़ में गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी.”गीता ने उदासी से कहा. “गीता, तुम्हें इन बातों की जानकारी कैसे है?”विवेक ने विस्मय से पूछा. “मॉरीशस और भारत के स्वतंत्रता-संग्राम में बहुत समानता है. विवेक. हमने मॉरीशस में दोनों की विजय-गाथा के विषय में पढ़ा है. हमारे मन में दोनों देशों के ऐसे अमर बलिदानियों के लिए बहुत आदर है.” “मुझे खुशी है कि तुम्हें मॉरीशस के साथ भारत के विषय में भी अच्छी जानकारी है.”विवेक खुश दिखा. दूसरे दिन क्लास के बाद समर ने बड़ी शालीनता से गीता से कहा- “मुझे लगता है, अनजाने में मुझसे कोई गलती होगई है, प्लीज अगर ऐसा है तो मुझे माफ़ कीजिए.” “नहीं, ऎसी कोई बात नहीं है, हम सब मित्र हैं.”शान्ति से गीता ने कहा. “अगर यह बात सच है तो मुझे अपने को सिद्ध करने का एक अवसर दो, गीता. पास ही एक छोटा सा रेस्तरा है, वहां हम कोल्ड ड्रिंक ले सकते हैं. आज गरमी भी बहुत है.” “ठीक है, हम मीता और विवेक को भी साथ ले लेते हैं.”गीता ने प्रस्ताव रखा. “इसका अर्थ यह हुआ, तुम मुझ पर विश्वास नहीं करतीं. वैसे भी विवेक कोल्ड ड्रिंक आदि नहीं लेता और मीता तो शैली के साथ मूवी देखने गई है.” “ठीक है, चलो, अपने हर साथी को मै अपना मित्र मानती हूँ.”सच्चाई से गीता ने कहा. रेस्तरा में कुछ छोटे-छोटे केबिन बने हुए थे, जिनमे पति-पत्नी या परिवारके लोग थे. शेष लोग बाहर बैठे थे. समर ने जब एक खाली केबिन में प्रवेश किया और गीता को आने को कहा तो गीता ने कहा- “समर, केबिन में बैठने की क्या आवश्यकता है? बाहर बैठ कर सबको देखने का आनंन्द मिलेगा.” “तुम नहीं जानतीं गीता, अगर हमें किसी ने साथ में देख लिया तो लोग बेकार में बातें बनाएंगे.” “हम कोई गलत काम करने तो नहीं जारहे हैं, हमें डरने की क्या ज़रुरत है?”गीता ने दृढ़ता से कहा. “यह छोटा शहर है, गीता. यहाँ लडके-लड़कियों को अधिक स्वतंत्रता नहीं मिलती, सुना है, मॉरीशस में लडके-लड़कियों को बहुत स्वतंत्रता मिलती है. पर यहाँ ऎसी बात नहीं है प्लीज़ मेरी बात मान लो.” “ठीक सुना है, पर मॉरीशस में कभी किसी ने अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया है.”अपने शब्दों पर जोर देकर गीता ने कहा. “अब बेकार में समय व्यर्थ मत करो. लोग हमें देख रहे हैं.”समर ने परदा हटा कर गीता को आवाज़ दी. ना चाहते हुए भी गीता केबिन में चली गई. समर ने परदा खींच कर वेटर को कोल्ड ड्रिंक और चिप्स के साथ समोसे लाने का आर्डर दिया. कुछ ही देर में वेटर उनका आर्डर ले आया और जाते-जाते परदा खींच गया. समर ने ग्लास उठा कर चियर्स किया. कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद समर बोला- “गीता, तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ, तुम दूसरी लड़कियों से बहुत अलग हो, इसीलिए तुम्हें सच्चे दिल से चाहने लगा हूँ. अपने मन की बात कहूं तो मेरा मन हर पल तुम्हारे साथ रहना चाहता है.” “थैंक्स, पर यहाँ मुझसे बहुत ज़्यादा अच्छी लडकियां हैं. अगर ध्यान से देखो तो हर लड़की और इंसान में कोई ना कोई अच्छाई होती है. मुझे तो यहाँ और मॉरीशस के बीच व्यक्तियों में कोई अंतर नहीं दिखता.” “तुम नहीं जानती,गीता. मेरी आँखों से देखो, तुम नहीं जानतीं तुम क्या चीज़ हो. मॉरीशस की चीनी की मिठास प्रसिद्ध है और वही मिठास तुममे आई है. जी चाहता है तुम्हारी पूरी मिठास टेस्ट करके देखूं.---“ समर ने जैसे ही गीता का हाथ पकड़ उसे चूमना चाहा एक जोर का तमाचा समर के गाल पर पड़ा था. गीता उठ खडी हुई. समर ने उसे फिर रोकना चाहा पर गीता के धक्के से समर अपने को सम्हाल नहीं सका. मेज़ पर रखा कांच का ग्लास गिर कर चूर-चूर होगया. “याद रखना, मुझे सामान्य लड़की समझने की भूल मत करना. इंडिया आने से पहले पूरी तैयारी के साथ आई हूँ. जूडो-कराटे की चैम्पियन रही हूँ. तुम जैसे अच्छे- अच्छों को सीधा कर सकती हूँ. आज तो छोड़ रही हूँ, पर अगली बार कुछ गलती करने की कोशिश भी की तो पुलिस से ऎसी कड़ी सज़ा दिलवाऊँगी जिसे ज़िंदगी भर नहीं भूल पाओगे.”तमतमाए चेहरे के साथ गीता बोली. “कोशिश कर देखना, पर तुम जानती नहीं मेरे पापा यहाँ सीनियर एस. पी. हैं. अपने को क्या समझती हो,तुम जैसी ना जाने कितनी लडकियां मेरे पीछे पड़ी हैं.”बेशर्मी और क्रोध से समर बोला. “शायद तुमने नारी-शक्ति के विषय में नहीं सुना है. विषम परिस्थिति के समय फूल सी कोमल यही नारी कैसे दुर्गा का रूप धारण करके दुष्टों का संहार कर विजयश्री पाती है. आशा करती हूँ भविष्य में किसी भी लड़की से अनुचित लाभ नहीं उठाओगे.”क्रोध से अपनी बात कहती गीता बाहर चली गई. बेहद खराब मूड के साथ गीता हॉस्टेल वापिस आई थी. मीता अभी तक फिल्म देख कर वापिस नहीं आई थी.गीता अनायास ही समर की विवेक के साथ तुलना कर रही थी. विवेक के मन में लड़कियों के प्रति सम्मान होता है, उसके साथ वह अपने को कितना सुरक्षित पाती है और एक यह समर और उसके मित्र हैं, जो लडकियों को खेलने की वस्तु समझते हैं, उनके प्रति कुत्सित दृष्टि रखते हैं. फिल्म देखने के बाद हॉस्टेल वापिस आते ही मीता ने चहक कर गीता से कहा- “वहुत अच्छी फिल्म थी. काश तुम भी हमारे साथ चलतीं. अमिताभ बच्चन का अभिनय बहुत कमाल का था. वैसे तुमने यहाँ क्या किया, कल तो छुट्टी है ज़रूर पढ़ रही होगी. आखिर टॉप जो करना है.” “नहीं,आज मेरा मूड बहुत खराब है, कुछ काम नहीं किया.”शांत स्वर में गीता ने कहा. “क्यों, क्या हुआ तुम परेशान दिख रही हो?” मीता ने चिंता से पूछा. गीता से पूरी घटना सुन मीता विस्मित रह गई. “कभी सोचा भी नहीं कि समर ऐसा भी कर सकता है. क्लास में उसकी और उसके मित्रों की बातों को हम उनकी शरारतें ही समझते थे, पर अब सावधान रहना होगा. हमारे क्लास की शैली को फिल्मों और बाहर रेस्टोरेंट में मुफ्त में खाने का बहुत शौक है. इसीलिए शैली की समर से अच्छी मित्रता है, उसे समझाना होगा. वह अक्सर समर और उसके मित्रो के साथ रेस्टोरेंट और फिल्म देखने जाती है. मीता गंभीर थी. गीता और मीता के समझाने पर भी शैली को उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ. समर के साथ फिल्म देखना, रेस्टोरेंट में बढ़िया भोजन करना उसे प्रिय था. वह समर को अपना सच्चा मित्र मानती थी. गीता से समर के व्यवहार के विषयमें सुन कर विवेक गंभीर हो गया. “गीता, तुम्हें सावधान रहना होगा, समर तुम्हारे तमाचे का बदला अवश्य लेगा. रात में अकेली बाहर निकलना ठीक नहीं होगा.” ‘तुम परेशान मत हो, अपनी रक्षा स्वयं करने में मै समर्थ हूँ.”गीता ने विश्वास से कहा. गीता के मना करने के बावजूद विवेक अपने को समर को समझाने से नहीं रोक सका. दूसरे दिन समर शान से क्लास में अपने चमचे मित्रो के साथ आया था. गीता के तमाचे को जैसे वह भूल चुका था. क्लास के बाहर विवेक ने समर के पास जाकर शान्ति से कहा था- “समर, हम सब मित्र हैं, इसलिए तुमसे कहता हूँ, गीता हमारी मेहमान है. हमें उसका सम्मान करना चाहिए,जिससे जब वह मॉरीशस वापिस जाए तो हमारे देश और देशवासियों के प्रति सम्मान और स्नेह की भावना के साथ जाए. आशा करता हूँ, तुम मेरी बात समझोगे.”स्नेह से विवेक ने कहा. “क्या बक रहे हो? हमारा समर कोई गलत काम नहीं करता, वह हमारा हीरो है.”महीप ने समर का पक्ष लिया. समर के मित्र विवेक के साहस पर स्तब्ध थे. समर के सामने कोई मुंह भी नहीं खोल सकता था. “दोस्तो, अब यह महाशय हमे लेक्चर देने आए हैं. मुझे समझाने की ज़रुरत नहीं है. अपना मुंह बंद रखो वरना पछताओगे. वैसे लगता है, गीता के साथ तुम्हारा कोई ख़ास रिश्ता है?”समर ने व्यंग्य किया. “हाँ,वही मित्रता का रिश्ता है, जो उसका तुम्हारे साथ भी है. गंभीरता के साथ विवेक बोला. ‘बस- बस अब अपनी बकवास बंद करो और जाओ यहाँ से. अगर मेरा मूड खराब होगया तो तुम्हारा वो हाल करूंगा कि अपना नाम भी भूल जाओगे.”समर के चलते ही उसके साथी भी उसके साथ चले गए . दिन पूर्ववत बीत रहे थे. छब्बीस जनवरी आ पहुंची थीं. उस दिन यूनीवर्सिटी में विशेष समारोह आयोजित किया गया था. ध्वजारोहण के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन में विवेक की कविता- पाठ में भारत के शहीदों के बलिदान के प्रति सच्ची श्रद्धा और आस्था थी, गीता द्वारा मॉरीशस के प्रसिद्ध लेखक अभिमन्यु अनत की पंक्तियाँ सुनाईं गईं. पंक्तियों में स्वतंत्रता के लिए सहे गए कष्ट साकार थे. लोग उस असहनीय पीड़ा से स्तब्ध थे. “नंगे पीठों पर सह कर बांसों की बौछार, बहा कर लाल पसीना, वह पहला गिरमिटिया, इस माटी का बेटा, मेरा भी अपना था, तेरा भी अपना था.” कुछ देर मौन के बाद लोगों ने तालियाँ बजाई थीं. कुछेक ने अपने आंसू पोंछे थे. कार्यक्रम के बाद विवेक ने गीता को बधाई दे कर कहा था- “मेरे मन में अभिमन्यु जी और मॉरीशस के उन सभी लेखकों के प्रति बहुत सम्मान है, जिनकी कलम में तलवार से भी अधिक धार थी. उनकी कलम ने जो चेतना जागृत की उसका सम्मान करता हूँ.” “मै भी भारत के शहीद भगत सिंह, उनके साथियो और चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे दूसरे सभी शहीदों का बहुत आदर करती हूँ, जिन्होंने युवावस्था में ही अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया.” अब परीक्षा के लिए विद्यार्थी सीरियस होरहे थे. बीच-बीच में विभागीय संगोष्ठियाँ और चर्चाएँ नियमित रूप में चलती. सेमिनारों में विवेक और गीता के लेख और वार्ताएं प्रशंसित होतीं.समय बीत रहा था. अचानक पिछले दो दिनों से शैली हॉस्टेल से नदारद थी. दो दिनों तक जब वह वापिस नहीं लौटी तो हॉस्टेल की सुपरिंटेंडेंट को सूचित किया गया. उसके लोकल गार्जियन और उसकी मित्रो से फ़ोन पर भी कोई खबर नहीं मिलने पर पुलिस को सूचित किया गया. अचानक शैली की रूम-मेट कला को याद आया शैली सरस्वती पूजा की छुट्टी में किसी के साथ कहीं पिकनिक के लिए जाने की बात कर रही थी. इस सूचना के बाद पुलिस दवारा सभी आसपास के पिकनिक स्थानों की खोज शुरू की गई, पर शैली का कहीं पता नहीं था. मीता और गीता को समर पर शक था, पर वह तो शहर में मौजूद था. कहाँ गई, शैली, सब परेशान थे. दो दिनों की खोज के बाद शैली एक फ़ार्म हाउस में बंधक पाई गई थी. पुलिस की कड़ी पूछ्ताछ के बाद शैली ने बड़ी मुश्किल से रोते हुए रहस्य खोला था. समर और उसके साथियों द्वारा शैली को पिकंनिक पर ले जाने के बहाने इस फार्म-हाउस में बंदी बना कर रखा गया और उसके साथ दुष्कर्म किया गया. मुंह खोलने पर उसे जान से मारे जाने की धमकी दी गई थी. शैली रो रही थी, काश उसने मीता और गीता की बातों पर विश्वास किया होता और समर की झूठी मित्रता पर भरोसा ना किया होता. गीता ने शैली को प्यार से समझाया- “रोने से समस्या का हल नहीं मिलेगा. तुम्हें साहस के साथ अपराधियों को सज़ा दिलवानी है. हम सब तुम्हारे साथ हैं. भविष्य में कभी किसी पर अंध विश्वास मत करना.” “मुझे माफ़ करो, गीता अब कभी ऎसी भूल नहीं करूंगी.”शैली के शब्दों में साहस प्रतिध्वनित था. पुलिस द्वारा समर और उसके मित्रो को गिरफ्तार कर लिया गया, पर जल्दी ही उन्हें ज़मानत पर छोड़ दिया गया. गीता और विवेक ने साथियों से इस घटना के विरोध में कार्रवाई करने का अनुरोध किया, पर अधिकांश. विद्यार्थी पुलिस या कुलपति के सामने विरोध की आवाज़ उठाने को तैयार नही थे. अंतत: एक लडकी के अपमान के विरोध में जब गीता ने पुलिस स्टेशन पर भूख हड़ताल करने का निर्णय लिया तो विवेक ने क्लास के साथियों से अपनी तेजस्वी वाणी में कहा- “हमें लज्जा आनी चाहिए कि एक दूसरे देश से आई लड़की ने हमारी साथिन के साथ हुए अन्याय की पीड़ा को महसूस किया. वह अकेली अन्याय का विरोध करने भूख हड़ताल करने जा रही है. और हम सब आराम से सो रहे हैं. क्या यही हमारे देश की संस्कृति है? भारत में नारी को पूज्यनीय देवी कहा गया है और आज हम एक लडकी के अपमान पर मौन हैं? अगर आप सब साथ दें तो हम क्या नहीं कर सकते. अगर आपमें साहस नहीं है तो मै अकेला बहिन शैली के सम्मान के लिए भूख हड़ताल करूंगा.” विवेक के तेजस्वी मुख और आत्मविश्वास पूर्ण शब्दों ने विद्यार्थियों में चेतना जागृत कर दी. क्लास छोड़ कर सारे विद्यार्थी जुलूस में विवेक के साथ चल पड़े. घटना की खबर ने मीडिया और यूनीवर्सिटी के सभी छात्र-छात्राओं को भी उत्तेजित कर दिया, नहीं अब अन्याय नहीं सहा जाएगा. स्थिति की गंभीरता देख कर समर और उसके साथियों को यूनीवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया. समर को मित्रो सहित जेल में डाल दिया गया. भय था कहीं उत्तेजित विद्यार्थी उसकी जान ना ले लें. समर को मित्रो सहित मुकदमे की तुरंत कार्रवाई की मांग की गई थी वकीलों से अनुरोध किया गया था,अपराधियों को बचाने की कोशिश ना करें वरन न्याय का साथ दें. वैसे भी शैली के बयान की अवज्ञा नहीं की जा सकती थी. गीता और विवेक अब सचमुच सबके सम्मान के पात्र बन गए थे. कुलपति और विभागाध्यक्ष ने दोनों को बुला कर उनके साहस की प्रशंसा की थी और उनसे कहा- “तुम दोनों बधाई के पात्र हो, विशेषकर गीता, जिसने न्याय के पक्ष में अपने साहस से एक छोटी सी चिंगारी लगाई और विवेक, जिसने इस चिंगारी को हवा दे कर हमारे विद्यार्थियों के मन में अन्याय के विरुद्ध आग प्रज्ज्वलित कर दी. अब तुम दोनों अपनी पढाई पर ध्यान दो और न्याय और क़ानून पर विश्वास रखो. हम सब तुम्हारे साथ हैं. हमें तुम दोनों से बहुत आशाएं हैं.” समय पंख लगा कर उड़ चला. समर के विरुद्ध मकदमा चल रहा था. सब जानते थे मुकदमों के फैसले इतनी जल्दी नहीं होते, पर समर की जमानत नहीं हो पाई, इससे सबको संतोष था कि न्याय होगा. परीक्षा का समय आ रहा था. सब मन लगा कर पढाई कर रहे थे. विवेक और गीता का एक-दूसरे का साथ उन्हें पूर्ण कर देता. समय अविराम गति से चल रहा था. “विवेक,मै चाहती हूँ, परीक्षा के बाद तुम मेरे साथ मॉरीशस चलो. मम्मी-पापा तुमसे मिल कर बहुत प्रसन्न होंगे. तुम्हारे विषय में मै उन्हें बताती रहती हूँ.”उत्साह से गीता ने अनुरोध किया. “अवश्य चलूँगा, मै भी उस सुंदर और महान देश को देखना चाहता हूँ, जहां तुमने जन्म लिया है, मॉरीशस के उन महान लेखकों से मिलना चाहूंगा जिनकी कलम की शक्ति मॉरीशस की स्वतंत्रता की जननी बनी, पर पहले हमें अपनी पढाई सफलातापूर्वक समाप्त करनी है. हमें यहाँ सबकी आशाएं पूर्ण करनी हैं.” “तुम ठीक कह रहे हो, विवेक. अभी हमें यही लक्ष्य पूर्ण करना है.”गीता ने शान्ति से कहा. परीक्षा समाप्त हो गई थी. गीता को मॉरीशस लौटना था. विवेक से दूर जाना अच्छा नहीं लग रहा था. विवेक भी अपनी मनमीत गीता के मन की बात समझ रहा था. दोनों की मित्रता में एक-दूसरे के प्रति कंसर्न और स्नेह की सच्चाई थी. दोनों उदास थे अचानक विवेक ने अपने मन की बात कही- “गीता, अपनी उदासी दूर करने के लिए हम कम्पनी बाग़ की ठंडी हवा का आनंद लेने क्यों न चलें?” “तुमने तो मेरे मन की बात कह दी. मॉरीशस जाकर यहाँ की यादों में यह सुन्दर बाग़ और यहाँ बिताए सुखद पल मेरे साथ रहेंगे“ गीता के उदास मुख पर खुशी झलक उठी. बाग़ की हरीतिमा और ठंडी हवा ने दोनों को मुग्ध कर दिया. दोनों हंसते हुए पुरानी यादें दोहरा रहे थे .अचानक गीता को याद आया, उसे कल वापिस मॉरीशस जाना है. उदास स्वर में गीता कह उठी- “विवेक,कल तुम्हारी और भारत की मीठी यादों के साथ मॉरीशस जा रहीं हूँ भारत वापिस आने तक के लिए विदा लेनी होगी.,पर जाने के पहले क्या तुमसे एक सवाल पूछ सकती हूँ?” गीता ने कहा. “यह तो तुम्हारा अधिकार है, गीता.”विवेक ने जवाब दिया. “मन में उत्सुकता है, तुम्हारा लक्ष्य क्या है जिसके कारण तुमने हिंदी विषय में प्रवेश लिया है?” “संक्षेप में मेरे पिता जी हिंदी और संस्कृत के विद्वान थे. उन्हें हिंदी से बहुत प्यार था. विश्वविद्यालय में हिंदी के अध्यक्ष होने के कारण उनकी योजना थी एक ऎसी इंस्टीट्यूट बनाई जाए जहां हिंदी के श्रेष्ठ साहित्य का अंग्रेज़ी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जाए और इसी तरह अंग्रेज़ी और अन्य भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्य का हिंदी में अनुवाद किया जाए.” “यह तो एक बहुत महान कार्य होता, पर क्या इस कार्य में कोई बाधा आगई?”गीता उत्सुक थी. “पिता जी ने कार्य शुरू किया था, विदेशों से उनके प्रिय विद्यार्थियों ने आर्थिक सहायता भेजी थी. सरकार से भी सहायता का आश्वासन दिया गया था, पर पिता जी के आकस्मिक निधन के कारण अभी योजना अपूर्ण है.इस योजना को पूर्ण कर के पिता जी का सपना पूरा करना मेरा लक्ष्य है. पिता जी के साथ मैने हिंदी का अध्ययन किया है, पर इसमें योग्यता पाने के लिए मै इस विषय में मास्टर्स करने का निर्णय लिया है.”गंभीरता से विवेक ने अपनी बात कही. “विवेक तुम्हारी इस महान लक्ष्य- पूर्ति में मै भी आजीवन तुम्हारा साथ देना चाहती हूँ, क्या मुझे तुम्हारा साथ मिलेगा?”गीता की उत्सुक दृष्टि विवेक के मुख पर निबद्ध थी. “यह तो मेरा सौभाग्य होगा, गीता, पर इस विषय में तुम अच्छी तरह से सोच कर निर्णय लेना.” “तुम्हारे साथ का निर्णय पहले ही ले चुकी हूँ., अब कार्य हमें और अधिक निकट ला सकेगा, विवेक.” “मुझे भी विश्वास है, हमारी मित्रता अटूट है, हम एक-दूसरे के मन की बात समझते हैं, पर जब तक हम अपने लक्ष्य को शुरू नहीं कर लेते भविष्य की प्रतीक्षा करनी होगी. मुझे विश्वास है, तुम मेरी बात समझोगी.”गंभीरता से विवेक ने कहा. “मुझे तुम्हारा निर्णय मान्य है, विवेक. सोच नहीं सकी थी कि भारतीय विवेक मेरे मन पर इस तरह से विजय पा लेगा. दो अलग देशों के वासी इतने अभिन्न हो जाएंगे. मॉरीशस में तुम्हें मिस करूंगी, विवेक.” नम स्वर में गीता बोली. “भौगोलिक दृष्टि से हम भले ही दूर रहें’ पर मन से हमेशा साथ रहेंगे. विश्वास रखो, समय पंख लगा कर उड़ जाएगा.” विवेक ने स्नेह से कहा. ‘अब जाने की आज्ञा दो मीत मेरे. तुमने ठीक कहा, हमारी मित्रता अटूट है और सदैव स्थायी रहेगी. तुम्हारे शब्द मेरी शक्ति और संबल हैं, विवेक.” चिड़ियों की चहचहाहट से वातावरण गुंजरित था. हवा के झूले पर झूमते वृक्ष मानो दोनों का आभिनंदन कर रहे थे. सूर्य का सुनहरा प्रकाश दिन को ज्योतिर्मय बना गया था. एक-दूसरे पर स्नेह भरी दृष्टि डाल दोनों फिर मिलने को दृढ-प्रतिज्ञ अपने-अपने गन्तव्य की ओर चल दिए थे.
No comments:
Post a Comment