हाँ ! टी० वी०, अखबारों की बात करूँ तो जनाब मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। रोज एक-न-एक किस्सा लगा रहता है। हत्या, आत्महत्या, लूट, बलात्कार, चोरी-डकैती, धोखाधड़ी, छल-प्रपंच, अवैध-संबंध बस यही मुद्दे छाये रहते हैं। सच कहूँ तो ये संचार माध्यम आदमी के नंगेपन को उजागर करने के माध्यम बन गये हैं। संसार में आदमी ही एक ऐसा प्राणी है, जो वस्त्र पहनने के बावजूद भी नंगा है। नंगा नहीं, बल्कि एकदम चिलम नंगा।
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